Ravi Pradosh Vrat Katha In Hindi.


रवि प्रदोष:

हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है।  किसी भी माह की त्रियोदशी तिधि को प्रदोष व्रत किया जाता है तथा यह प्रदोष किसको समर्पित है ये उस वार से निश्चित किया जाता है जिस वार पर त्रयोदशी तिथि पड़ रही है। आषाढ़ मास का पहला प्रदोष व्रत रविवार, 26 जून को है।  जिस प्रकार एक वर्ष में 24 एकादशी होती हैं ठीक उसी प्रकार प्रतिवर्ष 24 प्रदोष व्रत भी होते हैं।  प्रदोष व्रत में भगवान शंकर की पूजा पाठ करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन पूजा व्रत आदि करने से भगवान शंकर  प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं।  इस बार यह प्रदोष व्रत रविवार के  दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत कहा गया है।

रवि प्रदोष व्रत कथा:

एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का बहुत पहले स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई सहारा नहीं था, इसलिए वह सुबह होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी।  भीख मांगकर वह खुद का और अपने पुत्र का पेट पालती थी।

एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे रास्ते में एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी को उस पर दया आ गई और वह उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था,  इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा।

एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उसके रूप पर मोहित हो गई।  अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। अंशुमति के माता–पिता को भी राजकुमार पसंद आ गया।  कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि वे राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दें। अंशुमति के माता पिता ने वैसा ही किया।

ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करने के साथ ही भगवान शंकर की पूजा पाठ किया करती थी।  प्रदोष व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के साथ फिर सेअपने राज्य में सुखपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। मान्यता है कि जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के प्रभाव से भगवान शंकर ने उसके कष्ट दूर किए वैसे ही जो भी प्रदोष व्रत को करता है एवं कथा पढ़ता या सुनता है महादेव उसके सारे संकट दूर कर देते हैं।  अत: जो भी मनुष्य रवि प्रदोष व्रत को करता है, वह सुखपूर्वक और निरोगी होकर अपना पूर्ण जीवन व्यतीत करता है।
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