मईया ये बता बैठी है क्यों पहाड़ों पे,
मईया ये बता बैठी है क्यों पहाड़ों पे,
ठंड लगती नहीं तुमको जाड़ों में,
ठंड लगती नहीं तुमको जाड़ों में,
मईया ये बता बैठी है क्यों पहाड़ों पे,
मईया ये बता बैठी है क्यों पहाड़ों पे।।
ऊंचे पर्वत पे तेरा है मन्दिर बना,
ऊंचे पर्वत पे तेरा है मन्दिर बना,
हो कैसे आऊं ये पांव फिसले है मेरा,
हो कैसे आऊं ये पांव फिसले है मेरा,
आके हाथ पकड़ लो मां राहों में,
आके हाथ पकड़ लो मां राहों में,
मईया ये बता बैठी है क्यों पहाड़ों पे,
मईया ये बता बैठी है क्यों पहाड़ों पे,
ठंड लगती नहीं तुमको जाड़ों में,
ठंड लगती नहीं तुमको जाड़ों में,
मईया ये बता बैठी है क्यों पहाड़ों पे,
मईया ये बता बैठी है क्यों पहाड़ों पे।।
बाण गंगा की निर्मल सी धारा है,
बाण गंगा की निर्मल सी धारा है,
लाखों पापियों को तूने ही तारा है,
लाखों पापियों को तूने ही तारा है,
मुझको भी बुला बैठी है क्यों पहाड़ों में,
मुझको भी बुला बैठी है क्यों पहाड़ों में,
मईया ये बता बैठी है क्यों पहाड़ों पे,
मईया ये बता बैठी है क्यों पहाड़ों पे,
ठंड लगती नहीं तुमको जाड़ों में,
ठंड लगती नहीं तुमको जाड़ों में,
मईया ये बता बैठी है क्यों पहाड़ों पे,
मईया ये बता बैठी है क्यों पहाड़ों पे।।
तेरे दर पे मां आते सवाली तेरे,
तेरे दर पे मां आते सवाली तेरे,
झोली भरते हैं खाली जो लाते तेरे,
झोली भरते हैं खाली जो लाते तेरे,
तेरा बंटता खजाना मां लाखों में,
तेरा बंटता खजाना मां लाखों में,
मईया ये बता बैठी है क्यों पहाड़ों पे,
मईया ये बता बैठी है क्यों पहाड़ों पे,
ठंड लगती नहीं तुमको जाड़ों में,
ठंड लगती नहीं तुमको जाड़ों में,
मईया ये बता बैठी है क्यों पहाड़ों पे,
मईया ये बता बैठी है क्यों पहाड़ों पे।।