माघी पूर्णिमा।
"माघी पूर्णिमा" माघ मास के अंतिम दिन को माघी पूर्णिमा कहा जाता है। हिन्दू धर्म में सभी पूर्णमासियों में माघ मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन गंगा में स्नान करना बहुत शुभ होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सभी देवता पवित्र नदियों में निवास करते हैं।
व्रत कथा।
बहुत समय पहले की बात है, कटक नगर में धनेश्वर नाम का एक ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम रूपवती था। धनेश्वर और रूपवती को धन और संपत्ति की कोई कमी नहीं थी परन्तु उनके कोई संतान नहीं थी इस वजह से दोनों पति– पत्नी बहुत दुखी रहते थे। एक दिन की बात है कटक नगर में एक योगी महाराज आए। योगी महाराज ने उस नगर में हर घर से दक्षिणा मांगी, परन्तु धनेश्वर के घर से दक्षिणा नहीं मांगी। या देखकर धनेश्वर और रूपवती ने योगी महाराज से उनके घर से दक्षिणा ना लेने का कारण पूछा? उनके पूछने पर योगी ने बताया कि हम निःसंतान लोगों के घर से दक्षिणा नहीं लेते हैं।
यह सुनकर ब्राह्मण और उसकी पत्नी को बहुत दुख हुआ उसने योगी महाराज का आशीर्वाद लिया और उनसे पूछा कि हे महाराज! आप कोई ऐसा उपाय बताइए जिससे कि हमको संतान की प्राप्ति हो सके। तब योगी महाराज ने धनेश्वर को बताया कि उसकी पत्नी को पूर्णिमा का व्रत रखे और चन्द्रमा की पूजा करे। योगी महाराज के कहे अनुसार रूपवती ने पूर्णिमा का व्रत रखना शुरू कर दिया और चन्द्रमा की पूजा भी करने लगी। 23 पूर्णिमा के व्रत के प्रभाव से उनके पुत्र की प्राप्ति हुई। उस पुत्र का नाम देवदास रखा गया।
धार्मिक मान्यता है कि जो मनुष्य पूर्णिमा का व्रत रखता है और नियम से व्रत का पालन करता है उसे ना केवल अच्छी संतान की प्राप्ति होती है बल्कि उसके जीवन हमेशा सुख–समृद्धि बनी रहती है। जो मनुष्य पूर्णिमा का व्रत नियमपूर्वक करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।