किसी गांव में एक किसान के पास एक बकरा और एक कुत्ता थे। किसान कुत्ते की बहुत तारीफ करता था, क्योंकि वह रात भर जाग कर पहरेदारी करता था। बकरे को यह बात सुनकर अच्छा नहीं लगता था, एक दिन वह किसान के घर से निकल कर जंगल में चली गई। दिनभर वह जंगल में हरी–हरी घास खा कर खुश होकर घूमता रहा। लेकिन जब रात होने लगी तो वह सोचने लगा कि अब मैं कहां जाऊं। चलते–चलते उसकी नजर एक गुफा पर पड़ी, उसने सोचा कि चलो इसी गुफा में सो जाता हूं। वह गुफा एक शेर की थी, जोकि जंगल में शिकार के लिए गया हुआ था। जब शेर वापस लौट कर आया तो उसने देखा कि उसकी गुफा में कोई सो रहा है। गुफा में अंधेरा होने की वजह से शेर को लगा कि कोई मेरे से भी बड़ा जानवर जंगल में आ गया है शेर ने बाहर से ही डरते–डरते पूछा कि "लम्बी दाढ़ी मुंह बाकरा, कौन–कौन फल खाए ठाकुरा!! मतलब कि लंबी दाढ़ी और बकरे जैसे मुंह वाले तुम कौन हो और तुमने कौन–कौन से फल खा रखे हैं। तो बकरे ने अंदर से जवाब दिया,। ""सिंह, सियार सबय भज खावा, बाएं के टोए यहे बन पावा!! मतलब कि मैंने सिंह और सियार सभी को खाया है और अब मैं इस बन में और जानवरों की तलाश में आया हूं।"। शेर ने जब यह सुना तो उसने सोचा कि यह कोई बहुत बड़ा जानवर जंगल में आ गया है तो वह डरकर वहां से भागने लगा। भागते–भागते रास्ते में उसे एक लोमड़ी मिली, लोमड़ी ने पूछा कि शेर भाई आप इस तरह कहां भागे जा रहे हो तो शेर ने कहा कि क्या बताऊं बहन मेरी गुफा में कोई बड़ा जानवर आकर बैठ गया है उसकी बहुत बड़ी–बड़ी दाढ़ी है और वह कह रहा है कि उसने सिंह और सियार सभी को खाया है उसी से बचने के लिए मैं अब दूसरे जंगल में जा रहा हूं। लोमड़ी ने कहा अरे भाई!! वह तो एक बकरा है आप उससे डर गए तो शेर ने कहा कि नहीं बहन वह बकरा नहीं है। लोमड़ी बोली कि आप मेरे साथ चलो मैं देखती हूं उसे,। लेकिन शेर ने कहा कि उसे डर लग रहा है वह ऐसे नहीं जायेगा अगर वह जायेगा तो लोमड़ी उसे छोड़ कर भाग जायेगी। लोमड़ी ने पूछा कि भाई फिर कैसे चलोगे, तो शेर ने कहा वह अपनी पूंछ लोमड़ी की गर्दन में बांधेगा जिससे कि लोमड़ी उसको छोड़कर भाग ना सके। लोमड़ी ने कहा कि ठीक है भाई, आप जैसा चाहो वैसे ही कर लो। शेर ने अपनी पूंछ को लोमड़ी की गर्दन में बांधा और फिर दोनों गुफा के पास वापस लौट कर आए। वहां पहुंच कर लोमड़ी ने पूछा कि तुम कौन हो और यहां क्या करने आए हो तो बकरे ने अंदर से जवाब दिया कि मैं यहां तुम्हे खाने आया हूं इतना सुनते ही शेर वापस भागने लगा, लोमड़ी चिल्लाती रही लेकिन शेर ने उसकी एक ना सुनी और भागता रहा। शेर की पूंछ लोमड़ी की गर्दन में बंधी होने की वजह से लोमड़ी की गर्दन दबने लगी और कुछ समय में लोमड़ी मर गई। शेर दूसरे जंगल में चला गया और वहां पर जाकर रहने लगा। बकरा भी आराम से गुफा में रहने लगा। अपनी चतुराई से उसने एक शेर को जंगल से भगा दिया। लोमड़ी को ज्यादा चतुराई करने की वजह से अपनी जान गंवानी पड़ी।
इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी अपने से बड़े को सलाह नहीं देनी चाहिए।